आज के समय में इंडिया में मोटापा यानि की ओबेसिटी एक आम समस्या है। पश्चिमी दुनिया से शुरू हुई यह समस्या इंडिया में भी तेजी से फैल रही है। यहां, हम इस चर्चा को मोर्बिड ओबेस व्यक्ति तक सिमित रखते है, जिनके लिए बेरियाट्रिक /ओबेसिटी सर्जरी उपचार का असरकारक विकल्प है। आमतौर पर, इंडिया में मोटापे से पीड़ित लोगों के मन में बेरियाट्रिक सर्जरी/ वेइटलॉस सर्जरी को लेकर कई प्रश्न, संदेह, चिंताएँ और गलतफहमी होती है।ऐसे बेरियाट्रिक सर्जरी के मरीजों के लिए यह मार्गदर्शिका है। यह ब्लॉग मे, में इस विषय के बारे में बात करने जा रहा हूँ।
बेरियाट्रिक सर्जरी के बारे में बात करने से पहले, हमे मोटापे के बारे में कुछ बुनियादी बातें समझनी जरूरी हैं। इसमें, ओबेसिटी का क्या मतलब है, मोटापा होने के क्या कारण है, मोटापा के ग्रेड क्या होते है, पश्चिमी लोगो से हम कितने अलग है, और इलाज के क्या विकल्प है यह सारी बातें शामिल है।
सबसे पहले तो हमे यह स्पष्टता करनी चाहिए की मोटापे का मतलब सिर्फ अधिक वजन होना नहीं है। मोटापा World Health Organization के द्वारा मान्यता प्राप्त एक बीमारी है। इस बीमारी के साथ कई मेटाबोलिक, होर्मोनल एवम बिहेवियर संबंधित बदलाव जुड़े हुए है। यह आपके खाने और कार्य की पसन्दगी पर असर करता है, और आपके क्वॉलिटी ऑफ़ लाइफ को असर करता है।
हमे यह समझने की जरूरत है की मोटापा विविध कारण की वजह से होता है। जिसमे खानपान, लाइफस्टाइल और कार्यशैली में बदलाव, सामाजिक जीवन में आये बदलाव, सोशियल मिडिया, काफी सारे रोजबरोज के कार्यो में मशीन का उपयोग जैसे कारण शामिल है। और इन बातों की विवेकपूर्ण समज होना और उसका व्यवहारिक तौर से उपयोग करना, ओबेसिटी से लड़ने लिए जरूरी हे। तभी हमें वेइटलॉस के अच्छे परिणाम मिलेंगे।
हर मोटापे से पीड़ित व्यक्ति समान नहीं होते है। इसका मतलब है की, 30 से अधिक BMI वाले सभी व्यक्तियों को समान मेडिकल रिस्क नहीं होता है।BMI बढ़ने के साथ मेडिकल संबंधित और अन्य समस्याऍ भी बढ़ती है। अगर व्यक्ति का BMI 30-35 के बीचमें है तो वे Class I ओबेस व्यक्ति की गिन्ती मे आते है। अगर व्यक्ति का BMI 35- 40 बीचमें है तो वे Class II ओबेस व्यक्ति या गंभीर रूप से मोटापे से पीड़ित की श्रेणीमें आते है। और 40-50 के बिच के BMI के साथ व्यक्ति Class III, मोर्बिडली ओबेस की श्रेणी में गिने जाते है। BMI 50 से अधिक हो तो दर्दी सुपर ओबेस की श्रेणी मे आते है। मोटापे का मूल्यांकन सिर्फ BMI देखकर नहीं होता है। BMI के साथ मोटापे से जुडी डायबिटीस और अन्य समस्या है या नहीं, वह भी ध्यान में लिया जाता है। जैसे की अगर आपका BMI 35-40 के बिच में होने के बावजूद, अगर आपको मोटापे से संबंधित अन्य समस्या भी है तो आप, मोर्बिडली ओबेस श्रेणी में गिने जाओगे। मोटापे की श्रेणी की समज , हमें मोटापे के उपचार के विकल्पों को समझने और उसमें से सही विकल्प को पसंद करने में मदद करता है।
अंतमे, प्रत्येक व्यक्ति के लिए वजन कम करने का आयोजन हमें व्यक्तिगत रखना होगा। आप शायद वेइटलॉस के कई अलग अलग विकल्प जैसे की डायटिंग, हर्बल मेडिसिन्स, व्यायाम और काफी सारे वेइटलॉस क्लिनिक्स से परिचित होंगे ही। यह आयोजन आपकी उम्र, आपका BMI, आप डायबिटीस या मोटापे संबंधित अन्य समस्या से पीड़ित है या नहीं, सर्जरी से आप की अपेक्षाएँ और आपकी जीवनशैली पर निर्भर करता है। सब मिलाके में यहीं कहूंगा की स्वस्थ जीवनशैली और आहार, हर मोटापे से ग्रस्त व्यक्ति के उपचार का महत्वपूर्ण हिस्सा है।
कुछ चुनिंदा मरीजों में दवाइयाँ और Endoscopic Balloon Placement जैसी अस्थायी(temporary) प्रक्रिया मददरूप होती है। दवाइयाँ और Endoscopic Balloon Placement का मुख्य उदेश्य आहार और कसरत से वजन कम करने के शुरुआती प्रयास में मदद करने का होता है। हालाँकि, आजकल ओबेसिटी सर्जरी, एक सुरक्षित और विश्वसनीय प्रक्रिया बन गई है, खासतौर से जब एक अनुभवी सर्जन के द्वारा वह की गई हो। वेइटलॉस सर्जरी ही एक ऐसा विकल्प है जिससे पर्याप्त और स्थायी रूप से वजन कम होता है।और अगर आप को मोटापे के साथ उससे जुडी अन्य समस्या भी है, तो आपकी रणनीति बेरियाट्रिक(ओबेसिटी) सर्जरी और उसके बाद स्वस्थ और सक्रिय जीवनशैली की होनी चाहिए।
बेरियाट्रिक (वेइटलॉस) सर्जरी आज के समय का एक मात्र विकल्प है जिसने लगातार, महत्वपूर्ण और लम्बी अवधि के लिए वजन कम करके दिखाया है। इसलिए वे सभी लोग जिन्हें काफी वजन कम करने की जरूरत है, उन्हें बेरियाट्रिक सर्जरी के विकल्प पर विचार करना चाहिए। खासतौर पर,अगर वे मोटापे से संबधित अन्य समस्या से पीड़ित है। बेरियाट्रिक सर्जरी के वेइटलॉस के परिणाम बहुत उत्कृष्ट है और मोटापे से संबंधित समस्याओ में भी काफी सुधार देखने को मिलते है। इस तरह ऐसे मरीजों के जीवन की गुणवत्ता में भी काफी सुधार होता है।
सरल भाषा में, बेरियाट्रिक सर्जरी, वजन कम करने के उदेश्य से की गई, आपके जठर और आंत की सर्जरी है। आपके भोजन पर नियंत्रण से और आपके पेट के हॉर्मोन और मेटाबोलिज़म के बदलाव से यह मुमकिन बनता है। आजकल, ज्यादातर ऐसी सर्जरी लेप्रोस्कोपि सर्जरी यानि मिनिमल इनवेसिव मेथड (Minimal Invasive Method) से की जाती है। इस सर्जरी में कोई फेट निकाली नहीं जाती है और सर्जरी के बाद का पूरा वेइटलॉस धीरे-धीरे 12-18 महीनों में होता है। अंततः, में यह स्पष्ट करना चाहूंगा की यह कॉस्मेटिक सर्जरी नहीं है। यह मोटापे से पीड़ित व्यक्ति के सम्पूर्ण स्वास्थ्य के सुधार के उदेश्य से की जाती है। आमतौर पर, अब इंडिया में बेरियाट्रिक (वेइटलॉस) सर्जरी उसके तत्काल और लम्बी अवधि के उत्कृष्ट परिणामो के साथ की जाती है। इसकी बेहतर जानकारी के लिए यह वीडियो देखें।
बेरियाट्रिक सर्जरी या वेइटलॉस सर्जरी या ओबेसिटी सर्जरी सबके लिए नहीं है। प्रत्येक मोटापे से पीड़ित या ज्यादा वजन वाले व्यक्ति को वजन कम करने के लिए इस सर्जरी का सहारा नहीं लेना चाहिए। यह एक बड़ी सर्जरी है और बेरियाट्रिक सर्जरी के बारे मे तभी सोचना चाहिए जब वह जरूरी हो। नीचे लिखी गई श्रेणी मे आनेवाले व्यक्ति को बेरियाट्रिक सर्जरी के बारे मे सोचना चाहिए।
अगर आप इनमे से कोई भी श्रेणी मे आते है तो आप हमें मिलें और इस सर्जरी के हर पहलुओं के बारे में विस्तार से चर्चा करे।
विभिन्न प्रकार की बेरियाट्रिक प्रक्रिया आपके लिए उपलब्ध है। प्रत्येक के कुछ लाभ और कुछ नकारात्मक पहलू है। प्रत्येक को आप को विस्तार से समझना चाहिए और अपने सर्जन के साथ इसके बारे में चर्चा करनी चाहिए, की आपके लिए कौन सा विकल्प अच्छा है। प्रक्रिया के विकल्प की पसंदगी आपके वजन, BMI, अन्य मेडिकल प्रोब्लेम्स, उम्र,और आपकी इस सर्जरी में अपेक्षाओं पर निर्भर करता है। आमतौर पर की जानेवाली प्रत्येक सर्जरी के बारे मे नीचे संक्षिप्त में लिखा है।
इस में सर्जरी करके जठर का बड़ा हिस्सा निकाला जाता है जिससे इसकी साइज़ पहले के मुकाबले 25 % जितनी रह जाती है। जठर का निकाला गया हिस्सा भूख लगाने के लिए जरूरी हॉर्मोन Grehlin बनाता है। इसलिए सर्जरी के बाद, जठर का इस हिस्सा न रहने से, इससे भूख मे कमी होती है और कम मात्रा मे खाने से ही संतुष्टि का अनुभव होता है।
तुलनात्मक फायदा
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इस में स्टेपलिंग करके जठर के ऊपरी हिस्से में एक छोटा सा पाउच बनाया जाता है जिससे भोजन की मात्रा पर नियंत्रण बनता है। छोटी आंत के कुछ हिस्से को इसमें बायपास किया जाता है जिससे खाना पाचकरसो से देरी से मिलता है जिससे खाए हुए खुराक से केलरी का शोषण कम होता है। इस सर्जरी में, सर्जरी के बाद कई सारे डायजेस्टिव हॉर्मोन्स में भी बदलाव आते है, जिससे वजन कम करके इसे बनाये रखने मे और मोटापे से जुडी अन्य समस्या में सुधार लाने में मदद मिलती है।
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मिनी गेस्ट्रिक बायपास तकनीक तौर से Roux-en-Y गेस्ट्रिक बायपास से कम जटिल सर्जरी है। इसमे अगले दो विकल्पों की तुलना मे बड़े पैमाने पे malabsorption होता है। इसलिए, फॉलो-अप का चुस्त पालन और विटामिन एवम प्रोटीन सप्लीमेन्ट लेना बहुत महत्वपूर्ण है।
तुलनात्मक फायदा
इंडिया मे आमतौर पर उपरोक्त तीन प्रक्रियाएं की जाती है। ज्यादातर मरीजों की जरूरत के हिसाब से, इनमें से कोई एक प्रकार की सर्जरी, उनको योग्य परिणाम देती है। जरूरत है की आप अपने सर्जन से विस्तार से चर्चा करे की आपके लिए कौन सा विकल्प योग्य है।
हर बड़ी सर्जरी मे कुछ हद तक जोखिम रहता है। वेइटलॉस सर्जरी से जुड़े जोखिम आपके अन्य रोग और सर्जरी के प्रकार पर निर्भर रहते है। निचे हमने इसके सामन्यतः जोखिम और साइड इफेक्ट्स की सूचि दी है।
जोखिम
साइड इफेक्ट्स
हालाँकि, अगर सर्जरी एक्सपर्ट हाथों से होती है और पोस्ट-ऑपरेटिव फॉलो-अप का चुस्ती से पालन होता है तो जोखिम ना के बराबर होते है। आदर्श गाइडलाइन का पालन करके अगर सर्जरी की जाती है तो कोम्प्लिकेशन के जोखिम को बिलकुल कम किया जा सकता है। आप इस प्रक्रिया के जोखिम के बारे में चर्चा करने के लिए हमसे बात कर सकते हो।
सर्जरी के प्रकार, दर्दी की स्थिति, और जीवनशैली के आधार पर, 6 महीने से 2 साल की अवधि के अंदर आपके Excess Body Weight (EBW) का करीबन 70 -80 % वजन कम होगा। अधिकांश मरीजों में शुरुआती कुछ महीनों मे वजन जल्दी से कम होता है। कुछ महीनों के बाद वजन कम होने के दर मे कमी आती है किन्तु, सर्जरी के बाद 18 से 24 महीनो तक लगातार वजन कम होता रहता है। Obesity related medical problems
सर्जरी के बाद, आपके सभी मोटापे से जुडी समस्या में सुधार आता है। कुछ समस्या सम्पूर्ण रूप से हल हो जाती है। मोटापे की सर्जरी के बाद सभी समस्याओं मे क्या सुधार आता है वह जानने के लिए ऊपर दी गई फोटो देखिए।
मोटापे की सर्जरी के बाद प्रजनन क्षमता में सुधार होता है। यदि आप एक महिला हैं, तो आपको तेजी से वजन घटाने की अवधि के दौरान गर्भावस्था और प्रसव के तनाव से बचने के लिए, सर्जरी के बाद कम से कम दो साल तक गर्भावस्था से बचने की सलाह दी जाएगी। आपको इस समय के दौरान गर्भनिरोधक प्रकिया का उपयोग करने की जरूरत है। और आपका वजन स्थिर होने के बाद ही गर्भावस्था की योजना बनाने की सख्त सलाह दी जाती है। इस सर्जरी से गुजरने वाले पुरुष के लिए इस तरह के प्रतिबंध की जरूरत नहीं रहती हैं।
सर्जरी के एक साल बाद, आप एक खुशहाल, स्वस्थ और अधिक सक्रिय जीवन जी रहे होंगे। आपके जीवन की गुणवत्ता में भारी सुधार होगा। यही सच्चा कारण है की क्यों बेरियाट्रिक (ओबेसिटी) सर्जरी इंडिया मे ज्यादा और ज्यादा आम होती जा रही है।
बायपास सर्जरी किए हुए, हमारे मरीज से उनका अनुभव सुनिए
सर्जरी का खर्च सर्जरी के प्रकार पर आधारित है। बायपास सर्जरी का खर्च स्लीव गेस्ट्रेक्टोमी से थोड़ा ज्यादा होता है। अगर आपको हार्ट,किडनी,या साँस लेने संबंधित कोई भारी समस्या है तो खर्च इससे भी बढ़ जाता है। ऐसा इस लिए है क्युकि, सर्जरी से पहले और बाद मे इन सारी समस्याओ के लिए खास उपचार की आवश्यकता हो सकती है। साथ ही, हॉस्पिटल में ज्यादा रुकना पड सकता है और ICU मे भी रहना पड़ सकता है। अंतमे, एक महत्वपूर्ण बात, कॉम्प्लिकेशन होने की स्थिति मे खर्च बढ़ जाता है। क्योंकि, ज्यादा प्रक्रिया, दवाइयां, और हॉस्पिटल मे रहने की आवश्यकता हो सकती है। परंतु, सच कहें तो, इंडिया मे अन्य देशों की तुलना में, उपचार समान गुणवत्ता का होने के बावजूद, बेरियाट्रिक (ओबेसिटी) सर्जरी का खर्च कम है। आप अपने प्रश्न इस फॉर्म मे भरके हमें भेज सकते हो और हम आपसे बात करेंगे की आप के केस मे अनुमानित खर्च क्या होगा।
हम न केवल आपके वजन कम करने का लक्ष्य रखते है, परतुं आपकी नोर्मल हेल्थ वापस लाने का भी लक्ष्य रखते है। इसके आलावा, हम आपका कम हुआ वजन और स्वास्थ्य जीवनभर बनाये रखने के लिए कटिबद्ध है। जिससे आप ऊर्जासभर और खुशियों से भरी सक्रिय जिंदगी जी सकते है और अपने जीवन के निजी लक्ष्य तक पहुंच सकते हो। यह सब फॉलो-अप का चुस्त पालन करने से ही मुमकिन होता है। फॉलो-अप सर्जरी के बाद भी स्वस्थ जीवन शैली बनाये रखने में मदद करता है। स्वस्थ जीवन शैली बनाये रखने में एक मोटापे से पीड़ित व्यक्ति को कई छोटी छोटी परेशानियों का सामना करना पड़ता है जो एक बाधा है। और हम इन सभी छोटी बाधाओं को दूर करने में आपकी सहायता के लिए एक टीम के रूप में हमेशा तैयार हैं।
यही कारण है कि, हमारे मरीजों का मानना है कि यह इंडिया में बेरियाट्रिक(ओबेसिटी) सर्जरी के लिए सबसे अच्छा केन्द्र है। यह सिर्फ इसलिए नहीं है क्योंकि डॉ. चिराग ठक्कर सबसे अच्छे बेरियाट्रिक(ओबेसिटी) सर्जनों में से एक हैं, लेकिन हम एक टीम के रूप में वह लक्ष्य हासिल करते हैं जो सिर्फ एक सर्जरी हासिल नहीं कर सकती।